वह सबसे छोटी ध्वनि जिसके और टुकड़े नहीं किए जा सकते, वर्ण कहलाती है।
वर्ण दो प्रकार के होते है
(1)स्वर (vowel)
(2) व्यंजन (Consonant)
(1) स्वर (vowel) :- वे वर्ण जिनके उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती, स्वर कहलाता है।
Note:- इसके उच्चारण में कंठ, तालु का उपयोग होता है, जीभ, होठ का नहीं।
हिंदी वर्णमाला में 16 स्वर है
जैसे- अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अः ऋ ॠ ऌ ॡ।
स्वर के दो भेद होते है-
(i) मूल स्वर:- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ओ
(ii) संयुक्त स्वर:- ऐ (अ + ए) और औ (अ + ओ)
मूल स्वर के तीन भेद होते है-
(i) ह्स्व स्वर
(ii) दीर्घ स्वर
(iii)प्लुत स्वर
(i)ह्रस्व स्वर(Short Vowels):- जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है उन्हें ह्स्व स्वर कहते है।
ह्स्व स्वर चार होते है- अ आ उ ऋ।
(ii)दीर्घ स्वर(Long Vowels):- वे स्वर जिनके उच्चारण में ह्रस्व स्वर से दोगुना समय लगता है, वे दीर्घ स्वर कहलाते हैं। दीर्घ स्वर सात होते है- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।
(iii)प्लुत स्वर:- वे स्वर जिनके उच्चारण में दीर्घ स्वर से भी अधिक समय यानी तीन मात्राओं का समय लगता है, प्लुत स्वर कहलाते हैं।
(2) व्यंजन (Consonant):- जिन वर्णो को बोलने के लिए स्वर की सहायता लेनी पड़ती है उन्हें व्यंजन कहते है।
व्यंजन तीन प्रकार के होते है-
(1)स्पर्श व्यंजन(Mutes)
(2)अन्तःस्थ व्यंजन(Semivowels)
(3)उष्म या संघर्षी व्यंजन(Sibilants)
(1)स्पर्श व्यंजन(Mutes) :- स्पर्श का अर्थ होता है -छूना। जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय जीभ मुँह के किसी भाग जैसे- कण्ठ, तालु, मूर्धा, दाँत, अथवा होठ का स्पर्श करती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते है।
25 व्यंजन होते है-
(1)कवर्ग- क ख ग घ ङ ये कण्ठ का स्पर्श करते है।
(2)चवर्ग- च छ ज झ ञ ये तालु का स्पर्श करते है।
(3)टवर्ग- ट ठ ड ढ ण (ड़, ढ़) ये मूर्धा का स्पर्श करते है।
(4)तवर्ग- त थ द ध न ये दाँतो का स्पर्श करते है।
(5)पवर्ग- प फ ब भ म ये होठों का स्पर्श करते है।
(2)अन्तःस्थ व्यंजन(Semivowels) :- 'अन्तः' का अर्थ होता है- 'भीतर'। उच्चारण के समय जो व्यंजन मुँह के भीतर ही रहे उन्हें अन्तःस्थ व्यंजन कहते है।
(3)उष्म या संघर्षी व्यंजन(Sibilants) :- उष्म का अर्थ होता है- गर्म। जिन वर्णो के उच्चारण के समय हवा मुँह के विभिन्न भागों से टकराये और साँस में गर्मी पैदा कर दे, उन्हें उष्म व्यंजन कहते है।